Mr. R. S. Verma (PRINCIPAL)
B. Sc. (Bio), P.G.D. (R.D.), B.Ed
किसी व्यक्ति समाज या राष्ट्र की उन्नति उसकी शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करती हैं। शिक्षा ही मनुष्य को अन्य सभी जीवों से श्रेष्ठ बनाती है। उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था मानव को महा-मनाव तथा इसके विपरीत खराब शिक्षा व्यवस्था मानव को दानव बना देती है।
अर्थात शिक्षा ही मुक्ति का साधन होने के साथ-साथ लौकिक जीवन को सुखी समृद्ध एवं सफल बनाने में सक्षम हैं।
वर्तमान परिस्थियों में गुणवत्ता परक शिक्षा हमारे राष्ट्र के समक्ष एक चुनौती है, क्योकि आज समाज केवल परिणाम के पीछे भाग रहा है और प्राय: शिक्षा से केवल भौतिक रूप में आर्थिक सम्पन्नता ही खोज रहा है, जबकि शिक्षा का उद्देश्य सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को अर्थात शारीरिक, मानसिक , आध्यात्मिक , चारित्रिक विकास आदि का भूलता जा रहा है। जिससे निरन्तर कठिनाइयाँ नये-नये रूप में प्रकट हो रही है। पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण भी हमारी सांस्कृतिक विरासत को अत्यधिक हानि पहुँचा रहा है। इस कारण जीवन का पहिया डगमगा रहा है। अत: शिक्षा को केवल रोजगार पाने की विधा न मानकर सम्पूर्ण जीवन का समायोजित करके स्वयं तथा मानवता के कल्याण का साधन मानते हुए 'सा विद्या या विमुक्तयें’ के लक्ष्य को प्राप्त करने का माध्यम समझने की आवश्यकता है।
सौभाग्य से हमारा विद्यायल/कालेज इन नवीन अपेक्षाओं के अनुरूप अपने दायित्व के निर्वाह के प्रति कटिबद्ध है, तथा इन दायित्वों की पूर्ति के लिए प्रयासरत है। कालेज के प्रबन्धक श्रद्धेय महन्त श्री हरिनाम दास जी इसके लिए निरंतर प्रयासरत है। कालेज का यह वर्तमान स्वरूप इस बात का साक्षी है, एवं सीमित समय में अर्जित उपलब्धियाँ उल्लेखनीय हैं।
यहाँ वर्तमान में लगभग 1500 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है।